!

फणीश्वरनाथ रेणु indiai

Katalógusnévरेणु, फणीश्वरनाथ

Könyvei 8

फणीश्वरनाथ रेणु: मैला आँचल
फणीश्वरनाथ रेणु: ठुमरी
फणीश्वरनाथ रेणु: सम्पूर्ण कहानियाँ
फणीश्वरनाथ रेणु: एक आदिम रात्रि की महक
फणीश्वरनाथ रेणु: अच्छे आदमी
फणीश्वरनाथ रेणु: मेरी प्रिय कहानियाँ
फणीश्वरनाथ रेणु: एक श्रावणी दोपहरी की धूप
फणीश्वरनाथ रेणु: अगिनखोर

Szerkesztései 1

फणीश्वरनाथ रेणु – भारत यायावर (szerk.): फणीश्वरनाथ रेणु की श्रेष्ट कहानियाँ

Népszerű idézetek

Hence>!

नौकरी कोई भी हो, आख़िर नौकरी ही है | मन घर पर टँगा हुआ होगा |

Hence>!

यह है „मैला आँचल”, एक आंचलिक उपन्यास |

(első mondat)

Hence>!

वह हँसकर कहा करता, "दिल नाम की कोई चीज़ आदमी की शरीर में है, हमें नहीं मालूम | पता नहीं आदमी „लंग्स ” को दिल कहता है या „हार्ट” को | जो भी हो, „हार्ट ” "लंग्स" या „लीवर” का प्रेम से कोई संबंद नहीं है |"

Hence>!

बालदेव को रामनगर मेला के दुर्गा मंदिर की तरह गंध लगती है – मनोहर सुगंध! पवित्र गंध! औरतों की देह से तो हल्दी, लहसुन, प्याज़ और घाम की गंध निकलती है |

Hence>!

अंग-भंग आदमी सारी दुनिया को अंग-भंग देखता है |

Hence>!

ग़रीब और बेज़मीन लोगों की हालत भी ख्महार के बैलों जैसी है | मुंह में जाली का जाब |

Hence>!

…जो, मेरा कोई नहीं ! लछमी सोचती है, उसका दिल इतना नरम क्यों है ? क्यों वह डाक्टर को देखकर पिघल गई ? यह अच्छी बात नहीं | … सतगुरु मुझे बल दो |

Hence>!

रोने – कराहने के लिए बाकी ग्यारह महीने तो हैं ही, फागुन-भर तो हँस लो, गा लो |